Corporate Chanakya कॉर्पोरेट चाणक्य पुस्तक राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा लिखी गयी है,यह पुस्तक आचार्य चाणक्य के विश्व विख्यात अर्थशाश्त्र पर आधारित है, इस पुस्तक आप आर्थ्शास्त्र जो चाणक्य द्वारा लिखित चाणक्य निति है, उससे बहुत कम शब्दों में सफल प्रबंधन के सूत्र सीखेंगे|
‘ कौटिल्य’ के “अर्थशास्त्र” के अध्ययन से आपको ऐसे उपाय और तकनीकों का पता चलेगा जिससे आप एक ऐसा आदर्श व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, जो आपके बाद भी चलता रहेगा। इससे आपका तंत्र सूर्य स्थित एवं स्थाई बनेगा और उसके लोग पीढ़ियों तक आप का अनुसरण करेंगे।
आचार्य चाणक्य के विचार 2400 वर्षों से अधिक समय से कारगर सिद्ध हुए है, अतः आप भी यह आपके लिए भी अवश्य लाभदायक सिद्ध होंगे। अतःआप भी कोशिश करे की यह आपके लिए भी अवश्य लाभदयक सिद्ध हो.
Corporate Chanakya इस लेख में आप पढ़ेंगे

इस पुस्तक को लेखक राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा तीन भागों में विभक्त किया गया है;
- पहला भाग में नेतृत्व के बारे में बताया गया है।
- दूसरे भाग में प्रबंधन के बारे में बताया गया है।
- तीसरे भाग में प्रशिक्षण के बारे में बताया गया है।
इसके बाद आगे पुस्तक में कॉर्पोरेट जगत में ताकत की चर्चा की गई है, व्यवसाय के साथ स्तंभ के बारे में बताया गया है। व्यवसाय में अर्थशास्त्र का उपयोग ? आचार्य द्वारा उद्यमियों की सलाह के बारे में वर्णन किया गया है।
कौन थे आचार्य चाणक्य ?
आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। पिता श्री चणक के पुत्र होने के कारण वे चाणक्य कहलाए। कौटिल्य ने विश्वविख्यात अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ लिखा था। यह ग्रंथ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाज नीति आदि का महान ग्रंथ है। अर्थशास्त्र ग्रंथ को मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। शताब्दियों से विद्वानों ने आचार्य चाणक्य को एक ऐसे दुर्लभ बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में वर्णित किया है, जिन्होंने विविध और विशिष्ट क्षेत्रों जैसे प्रबंधन, अर्थशास्त्र, राजनीति, विधि, नेतृत्व, शासन, युद्ध स्थिति, सैन्य चतुराई, लेखा विधि और अन्य कई क्षेत्रों में निपुणता हासिल की। चाणक्य ने 6000 सूत्रों को स्वयं ही पांच
एक समय मगध सबसे बड़ा साम्राज्य था। नंदा साम्राज्य का राजा घनानंद था। घनानंद ने एक समय चाणक्य को भरी सभा में अपमानित किया था। इसके तत्पश्चात चाणक्य ने घनानंद और उसके नंद वंश को समाप्त करने की प्रतिज्ञा की थी। चाणक्य ने मलेक्ष राजा परवर्तक कि सेना लेकर पाटलिपुत्र पर चढ़ाई की। और नंदो को युद्ध में परास्त कर मार डाला।
व्यवसाय के सात स्तंभ
आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी पुस्तक “अर्थशास्त्र” भारत की ही देन है। इस पुस्तक को पढ़ने से हमें एक शक्तिशाली संगठन के निर्माण में सहायक कारको का पता चलता है।
Corporate world में आज भी वही आगे हैं, जिनके पास ज्ञान, जनशक्ति, वित्तीय शक्ति और उत्साह मनोबल की शक्ति है।
राधाकृष्णन पिल्लई आचार्य चाणक्य और शासकीय नीति के सफल प्रबंधन का जिक्र करते हुए कहते हैं, कि व्यवसाय के सात स्तंभ होते हैं, मजबूत नीव ही सफलता की कुंजी है। आपकी दूरदर्शिता, आप की प्रतिबद्धता, आपकी उद्देश्य ये सभी किसी भी संगठन के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्तंभों का निर्माण करते हैं।
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राजा, मंत्री, राष्ट्र, किलाबंद नगर, राजकोष, सेना और मित्र किसी भी राज्य के संघटक तत्व होते है।
Corporate Chanakya व्यवसाय में अर्थशास्त्र का उपयोग
आचार्य चाणक्य ने व्यवसाय ने आसपास के उपयोग एवं लाभों का वर्णन किया है।
” यह शास्त्र (अर्थशास्त्र) व्यक्तियों में आध्यात्मिक हित, भौतिक कल्याण और आनंद की उत्पत्ति करता है। साथ ही आध्यात्मिक बुराइयों भौतिक हानि और घृणा का विनिस्ट करता है।
“आचार्य आगे कहते हैं, यदि कोई व्यक्ति कोई भी चीज हासिल की है, तो उसे उस वस्तु की रक्षा करनी चाहिए। यदि आप लाख रुपए कमाते हैं, तो इसे सुरक्षित रखना चाहिए। इसके साथ हमें इस यह प्रयास करना चाहिए कि यह लाख रुपए किस प्रकार करोड़ रुपए बन जाए। यहीं से निवेश की योजना की शुरुआत होती हैं।“
क्या आप वास्तव में क्रियाशील है?
“लिए गये कार्यों को पूरा करना ही क्रियाशीलता है।”
अधिकांश लोग स्वयं को कठोर- परिश्रमी, ईमानदार और क्रियाशील समझते है बिना यह समझे को यह वास्तिविकता है, या उनकी कोरी कल्पना है। चारो Corporate Chanakya
आरंभ किए गए समस्त प्रोजेक्टों को पूरा कर लेने के बाद ही आप स्वयं को क्रियाशील समझ सकते है।
आप स्वयं से प्रश्न करे की क्या आपने सदैव जिस भी कार्य को आरंभ किया, उसका परिणाम आपको मिला है। हममे से अधिकांश लोगों की चाहे वे छात्र हो, गृहस्थ हो, या कामकाजी हो, या प्रबंधक हो हमेशा शिकायत होती है, की मैं इतना मेहनत करता हूं, फिर भी मनवांछित सफलता प्राप्त नहीं होती है, इसका यही कारण हैं की हम अपने कार्य को सही समय में पूरा नहीं कर पाते है।
अब सवाल यह है, की हम किसी कार्य की योजना किस प्रकार बनाएं ताकि इच्छित परिणाम मिल सके|
व्यसाय में उधमी को सलाह
आचार्य चाणक्य कहते हैं, कि किसी उद्यमी के जीवन का सबसे मुश्किल समय वह होता है, जब वह अपने विचार के थोड़े प्रयोग में ही काफी संघर्ष का सामना करना पड़ता है, फिर भी उसे आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता ऐसे में उसके सभी करीबी लोगों से यह बताने के लिए तत्पर हो जाते हैं, कि उसने कोई गलत राह चुन ली है। Corporate Chanakya
कौटिल्य का कथन है कि ऐसे में धैर्य से काम लेना चाहिए मानसिक रूप से जड़ता की स्थिति को प्राप्त नहीं करना चाहिए।
“धन मूर्ख व्यक्ति के पास नहीं टिकता जो निरंतर सितारों का सहारा लेते हैं, क्योंकि धन ही धन का सितारा होता है, योग्य व्यक्ति को धन की प्राप्ति अवश्य होगी चाहे भले ही सैकड़ों परीक्षाओं के बाद ही सही”
व्यवसाय में निरंतर पदोन्नति के लिए आचार्य चाणक्य निम्नलिखित नीति का उल्लेख करते है;
- योग्य प्रबंधकों का चयन
- पद का निर्धारण
- कर्मचारियों का ध्यान रखना
- वेतन से अधिक सुरक्षा पर जोर
- पदोन्नति देना।
- गुणवत्ता नियंत्रण
- सही व्यक्ति का चयन
- शुद्ध लाभ महत्वपूर्ण है
- संकट में राजकोष की देखरेख
- मजदूरी
- बजट बनाना
- समय पर कर (Tax) भुगतान
मात्र डिग्री प्रयाप्त नही है?
आचार्य चाणक्य राजनीति, कूटनीति, प्रबंधन और व्यवहारिकता सिखाने के मामले में आज भी Corporate Chanakya एक मिसाल के तौर पर देखे जाते है; चाणक्य ने कहा था,
“विज्ञान का जानकर परंतु व्यवहारिक ज्ञान में शुन्य ज्ञान रखने वाला व्यक्ति संगठन के दायित्व के निर्वाह में अक्षम होगा।”
प्रबंधन के छात्रों या बी- स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों को मात्र डिग्री और जॉब को ही अपना उद्देश्य नहीं बनाना चाहिए। उन्हें जीवनपर्यंत शिक्षार्थी बनना चाहिए। अपने पाठ्यक्रम के दौरान भी उन्हें अपने व्यवहारिक ज्ञान में वृद्धि का प्रयास करना चाहिए उन्हें उद्योगों से जुड़े लोगों से संपर्क करना चाहिए। इंटरनेट के माध्यम से नवीनतम शोध एवं रिपोर्टों की जानकारी लेनी चाहिए और अपने शिक्षाओं का रिकॉर्ड रखना चाहिए। डिग्री और जॉब मिलने के बाद भी उन्हें अपने पढ़ने की आदत बनाए रखनी चाहिए।
याद रहे कि सिद्धांत और व्यवहार के बीच की दूरी को गहरी समझ और स्पष्ट वार्तालाप द्वारा कम की जा सकती है। प्रत्येक व्यक्ति को गहन निरीक्षण उदार मति और दुनिया की विभिन्न जानकारियों को सीखने और उच्चतर दयित्यो को संभालने की इच्छा से आगे बढ़ना चाहिए।
चाणक्य नीति से सफल प्रबंधन के लिए आचार्य प्रशिक्षण पर अधिक जोड़ देते है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं, कि व्यवसाय 3 पुश्त से अधिक नहीं टिक पाते हैं, शिखर पर पहुंचना आसान है, परंतु वर्चस्व बनाए रखना सबसे कठिन कार्य है.
बच्चे को प्रशिक्षित करना?
किसी भी सफल व्यवसाई की सबसे बड़ी चुनौती होती है मृत्यु के बाद अपनी धन-संपत्ति की सही देखरेख सुनिश्चित करना।
Corporate Chanakya कौटिल्य की सलाह है;
“कीड़े लगे खोखले लकड़ी के समान ही अनुशासनहीन उत्तराधिकारी वाले शाही परिवार आक्रमण के समय टूट कर बिखर जाएंगे”
अतः प्रत्येक सफल व्यक्ति के लिए अपने बच्चों को अनुशासन बनाए रखना अत्यावश्यक है, एक निश्चित सीमा तक उन्हें नियंत्रण में रखना और उन्हें दिशा निर्देश देना जरूरी है। ऐसा न करने पर वह लकड़ी के उस टुकड़े के समान हो जाएंगे जो कीड़े और दीमक द्वारा खा जाने के कारण ऊपर से भले ही मजबूत दिखता है, परंतु अंदर से खोखला हो जाता है, जैसे ही उस पर हल्का सा दबाव पड़ता है वह तुरंत टूट जाता है।
आचार्य चाणक्य द्वारा बताया गया समय प्रबंधन की सिख
हम सब एक अत्यंत गतिशील दुनिया में जी रहे है, जहां समय का प्रभावशाली ढंग से प्रबंधन अत्यावश्यक है। प्रांतीय आज भी हम चाणक्य की शताब्दियों पुरानी कृति अर्थशास्त्र से सर्वदा सीख ले सकते हैं, उनके अनुसार हमें अपने कार्य के विषय में निश्चय कर लेना चाहिए।
आचार्य चाणक्य का इस नीति को विद्यार्थी, गृहणी, प्रबंधक, इत्यादि सभी को अपनाना चाहिए;
- अपने लक्ष्य को याद रखें
समय प्रबंधन का पहला उपाय है कि आप यह याद रखें कि आप कहां और कब तक पहुंचना चाहते हैं। हम में से अधिकांश लोग बिना किसी उद्देश्य के ही इधर-उधर भटक रहे हैं। आप स्वयं से हमेशा यह प्रश्न करें- मैं यह क्या कर रहा हूं? क्या मुझे ऐसा करना चाहिए? इस कार्य से हमे क्या परिणाम मिलने वाला है?
- हर चीज को नोट करे
जब आप अपने नियमित कार्य में लगे होते हैं तो कोई ना कोई व्यवधान आते रहते हैं। कुछ तो बाहरी और चने होती है जबकि अन्य आपके दिमाग की उपज होती है। Corporate Chanakya आज कल सबसे ज्यादा व्यवधान स्मार्ट फोन (smart phone) से हो रहा है, जिसका शिकार सभी वर्ग के लोग है, सबसे ज्यादा 5 वर्ष से 19 वर्ष के बच्चे हो रहे है। जिनका स्क्रीन टाइम 8 से 10 घंटे फोन पर व्यतीत कर रहे है। ये सभी सामान्य अवरोध है, जो हमारे वर्तमान कार्यों में गतिरोध पैदा करते है।
ऐसे समय में अपने विचारो को तुरंत किसी कागज या मोबाइल फोन अथवा कंप्यूटर में नोट कर ले। इस प्रकार आप भूलेंगे नहीं । आपके दिमाग भी शांत हो जाएगा। इसके बाद नोट बनाकर आप पहले से आरंभ कार्य यदि प्राथमिकता के अनुसार आरंभ करें।
- अपनी सूची को नियमित जांच करे;
जब कभी आपके पास समय हो उस सूची पर नजर डालें और उनके अनुसार कार्य करें किसी व्यस्त कारोबारी ने एक बार कहा था, “मैं अपने कार्य- सूची को हर दिन दर्जनों बार देखता हूं। इससे मुझे अपने कार्य की याद आ जाती है, और मैं अपने व्यस्त समय के बावजूद उसके लिए समय निकाल लेता हूं।”
याद रखें, यदि व्यक्ति आत्मा-अनुशासित होगा तभी यह सभी सलाह उसके लिए उपयोगी सिद्ध होगी। यदि आप दूसरे द्वारा लाए गए अत्यावश्यक मामले में ही उलझे रहेंगे तो किसी भी प्रकार से पुस्तक का ज्ञान या समय प्रबंधन पाठ्यक्रम आपके लिए उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकता।
कॉर्पोरेट चाणक्य पुस्तक की समीक्षा
इस पुस्तक से आप जितना ज्यादा ज्ञान निकलेंगे उतना ज्यादा यह प्रासंगिक होगी। राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा लिखित यह पुस्तक असली अर्थशास्त्र का निचोड़ है, आप बहुत कम समय में आप इस पुस्तक को पढ़कर व्यवहार में ला सकते हैं। प्रबंधन से लेकर अध्यात्म को यह पुस्तक एक कड़ी में जोड़ता है। यह पुस्तक आपको जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लायेगी।
कॉरपोरेट चाणक्य का सूत्र राजनीति से लेकर प्रबंधन और निजी जीवन में खूब प्रयोग होता है।
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Разрешение на строительство — это официальный документ, выдаваемый официальными учреждениями государственной власти или муниципального управления, который допускает начать возведение или исполнение строительных работ.
Получение разрешения на строительство назначает юридические основы и регламенты к строительной деятельности, включая допустимые типы работ, приемлемые материалы и методы, а также включает строительные инструкции и комплексы защиты. Получение разрешения на строительную деятельность является необходимым документов для строительной сферы.
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