फ़्रेंज़ काफ़्का को लघु कहानियां लिखने में विशेषता प्राप्त थी। उनकी लघु कहानियां जनमानस के मन को टटोलता है। इनका जन्म प्राग बोहमिया (ऑस्ट्रिया- हंगरी) अब चेक गणराज्य के जर्मन भाषी यहूदी परिवार में हुआ था। इनका जन्म 3 जुलाई 1883 में हुआ और निधन 3 जून 1924 में 40 वर्ष की अल्पआयु में हुई थी। इनके पिता का नाम हरमन काफ्का तथा माता का नाम जूली काफ्का था। इस लेख के माध्यम से कुछ कहानियाँ को प्रस्तुत किया गया है, फ़्रेंज़ काफ़्का की सर्वश्रेष्ठ लघु कहानियां Hindi PDF नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते है

इस संकलन (फ़्रेंज़ काफ़्का की लोकप्रिय कहानियां) का अनुवाद प्रभात प्रकाशन के अरुण चंद्र द्वारा किया गया है। इस संकलन में 24 कहानियां हैं, जिसकी शुरुवात नया वकील नामक कहानी से तथा समापन पारिवारिक व्यक्ति की चिंताएं से होती है।
जब गुड़िया की गुड़िया खो गई तो कैसे काफ्का ने उसका मन टटोला।
यह कहानी लिखी गई है, दैनिक भास्कर द्वारा मो. शफीक अशरफ ने प्रस्तुति दी है।
फ़्रेंज़ काफ़्का जर्मनी एक प्रसिद्ध साहित्यकार थे। अपने 40 वर्ष के अल्पआयु जीवन काल में दुनिया को रहस्यमई कालजई रचनाएं देकर चले गए थे। तो आइए पढ़ते हैं, फ़्रेंज़ काफ़्का और गुड़िया के बीच की पत्रों की संवाद की कहानी;
बर्लिन के एक पार्क में टहलते हुए काफ़्का को एक रोती हुई नन्हीं सी बच्ची मिली। काफ्का ने उसके रोने का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह जिस गुड़िया से खेल रही थी वह कही गुम हो गई है। काफ़्का ने उस गुड़िया को लाकर देने का आश्वासन दिया। जिससे वह बच्ची चुप हो गई।
काफ्का ने गुड़िया ढूंढने के लिए उस लड़की से समय मांगा और फिर वहां से वे से चले गए। पर गुड़िया ना तो काफ्का को मिली नही छोटे से बच्ची को। आगे काफ्का ने गुड़िया की तरफ से एक काल्पनिक पत्र उस लड़की को लिखा। और उस बच्ची को पढ़कर सुनाया। इस पत्र में काफ्का ने काफी मार्मिक चित्रण किया है, ध्यान से पढ़िएगा। ‘ कृपया रोना मत, मैं दुनिया घूमने के लिए निकली हूं, मैं समय-समय पर अपनी यात्रा के बारे में तुम्हें लिखती रहूंगी, बस तुम रोना मत।
फ़्रेंज़ काफ़्का नियमित रूप से उस नन्ही सी बच्ची को काल्पनिक पत्र लिखने लगे। और वह रोज उस लड़की को पढ़कर सुनाते। जो की यात्रा का काल्पनिक वर्णन हुआ करता था। वह पत्र के माध्यम से काल्पनिक बातें अब गुड़िया को वास्तविक लगने लगी। और स्वयं वह बच्ची कहती थी कि गुड़िया अब बहुत घुमक्कड़ हो गई है। और बच्ची खुश रहने लगी।
एक दिन जब बहुत कहानियां हो गई तो काफ्का ने एक दूसरी गुड़िया उस बच्ची को लाकर दी। वह गुड़िया बदली हुई थी। उस लड़की को वह खोई हुई पुरानी गुड़िया जैसी नहीं लगी, तो वह बच्ची काफ्का की तरफ देखने लगी। काफ्का अनजान बनते हुए गुड़िया में चिपकी एक पत्र को निकालकर पढ़ने लगे। उसमें लिखा था ‘यह मैं ही हूं, तुम्हारी वाली गुड़िया जो पार्क में खो गई थी। दुनिया भर की लंबी यात्रा की वजह से मैं थोड़ा बदल गई हूं, और काफी थक गई हूं, लड़की को इस गुड़िया और काफ्का पर विश्वास हो गया। और वह गुड़िया लेकर घर चली गई।
काफी वर्ष बीतने के बाद जब वह लड़की बड़ी हो गई तो एक दिन वह अपने अलमारी में कुछ ढूंढ रही थी। तो उसका ध्यान उस गुड़िया पर पड़ गया, जो काफ्का ने उसे दी थी। बचपन की बाते याद कर वह हंसने लगी जब उससे सब समझ में आ चुका था कि काफ्का ने कैसे उसका मन रखा था। उस उसे उस गुड़िया पर फिर से प्यार आने लगा। उसे बड़े गौर से देखने लगी तो सहसा उसकी नजर गुड़िया के फ्रॉक की आस्तीन में छुपे एक छोटे से पत्र पड़ गई। उसने बड़ी व्याकुलता से वह पत्र निकाला और पढ़ने लगी । पत्र में संक्षेप में लिखा था ‘ हर वह चीज जिससे तुम प्यार करती हो, कभी न कभी तुमसे खो जाएगी, पर अंत में जो लौट कर आयेगी और जो तुम्हारे पास होगी, वही तुम्हारे लिए सच्चे रूप में बनी होगी। रूप भले ही अलग होगा, पर प्यार एकदम सच्चा होगा।
संकल्प खराबमन:स्थिति से बाहर लाने की कला
संकल्प फ़्रेंज़ काफ़्का की कलजयी रचना है, इस लघु कहानी के माध्यम से वह उदासी से बाहर लाने की कला का शानदार प्रस्तुति दी है।
यदि तुम्हे स्वयं को उदासी से बाहर लाना है। इसे मजबूत इच्छाशक्ति द्वारा करना है, यह सरल होना चाहिए। मैं जब करके कुर्सी से उठा टेबल के चारों ओर चक्कर लगाया सिर एवं गले का व्यायाम किया आंखों में चमक लाए तथा चारों ओर की मांसपेशियों को सख्त किया। आप कोई भी संकल्प लेते हैं, तो उसे पूरा करने के लिए उसमें कोई ना कोई चूक इसकी संभावना हमेशा रहती है, वह पूरी प्रक्रिया को ही रोक देगी जो सरल एवं पीड़ादायक है, और वह आपको एक बार फिर अपने घेरे में वापस भेज देगी।
इसलिए काफ़्का कहते हैं, कि हर एक हर चीज का निष्क्रियता से सामना करो ताकि स्वयं को एक निष्क्रिय प्राणी बना सको। जब लगे कि आवेश में बहते जा रहे हो तो स्वयं को एक ही अनावश्यक कदम उठाने से रोको, दूसरे को पशु की तरह निहारो। जिसमे कोई दया की भावना न हो। संक्षेप में, अपने ही हाथों से अपने भीतर शेष रह गए पैशाचिक जीवन का अंत कर दो, ताकि कब्र की अंतिम शांति का विस्तार कर सकूं, और उसके बाद उसके सिवा कुछ और ना बचे। अपने कनिष्ठ उंगली को अपने भाव पर फेरना इस दिशा में होने वाली एक विशिष्ट क्रिया है।
फ़्रेंज़ काफ़्का की सर्वश्रेष्ठ लघु कहानियां सारांश
काफ्का की लघु कहानी के इस संकलन का अनुवाद अरुण चंद्र ने किया है, जिसको अनुवाद के लिए में 5 में से 5 रेटिंग्स देता हु। कहानी के इस संकलन में फ़्रेंज़ काफ़्का की सर्वश्रेष्ठ रचना को स्थान नहीं दिया गया है। फिर भी यह संकलन शानदार है। आपको यह संकलन को पढ़ने में मजा आयेगा। और पाठक को फ़्रेंज़ काफ़्का से जोड़ कर रखेगी। इस और भी मजेदार कहानियां है, जैसे; नया वकील, संकल्प, व्यापारी, उदासी, सियार और अरबी, ग्यारह बेटे, आत्मविश्वासी धोखेबाज के बेनकाबी, गायक जोस्फिन या मूषक लोक, डोलची सवार,अस्वीकृति आदि।
Download here
http://hamarijankari.com/wp-content/uploads/2023/02/Kafka-ki-Lokpriya-Kahaniyan-Hindi-Edition.pdf
I have domain of hamarijankari.in you want to buy it